भारत के हक का पानी भारत में ही रहेगा; पहले जा रहा था बाहर- PM Modi
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत मंडपम में ABP न्यूज की समिट में कहा, ‘दशकों तक हमारी नदियों का पानी झगड़े का मुद्दा रहा। हमारी सरकार ने नदियों को जोड़ने का बड़ा फैसला किया है। आजकल मीडिया में पानी को लेकर बहुत बातें चल रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था। अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा, हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा।’ पीएम ने यह बात सिंधु जल समझौते के संदर्भ में कही। दरअसल, पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है। भारत ने सिंधु जल समझौते को खत्म करने के अलावा कई सख्त फैसले लिए हैं।’
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बात
आपका पैसा बचा, गाली मोदी ने खाई
हमारे पूर्व पीएम ने माना था अगर सरकार 1 रुपया गरीब को भेजती है, तो 85 पैसा लुट जाता है। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन गरीब की दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। हमारी सरकार ने तय किया कि 1 रुपया पूरा गरीबों को मिले। इसके लिए डायरेक्टर अकाउंट में भेजा। 10 करोड़ फर्जी लाभार्थी ऐसे थे जिनका कभी जन्म तक नहीं हुआ था। पहले वाले यही सिस्टम बना कर गए थे। हमारी सरकार ने इन 10 करोड़ फर्जी नामों को हटाया। DBT के जरिए पूरा पैसा गरीबों के बैंक खातों में भेजा। इससे साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा गलत हाथों में जाने से बचा है। मतलब आपका पैसा बचाया है। पैसा आपका बचा, गाली मोदी ने खाई
PM Modi: वन रैंक वन पेंशन दी
वन रैंक वन पेंशन का मामला दशकों से लटका हुआ था। तर्क था कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा। हमारी सरकार ने जीवन खपाने वालों के हित को सर्वोपरि रखा। अब तक हमारी सरकार सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा वन रैंक वन पेंशन में दे चुकी है।
इंडिया-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ
इंडिया-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट फाइनल हो चुका है। विश्व की दो बड़ी ओपन मार्केट इकोनॉमी के बीच दोनों देशों के विकास में नया अध्याय जुड़ेगा। इससे भारत में इकोनॉमिक एक्टिविटी को बूस्ट मिलेगा।
ट्रिपल तलाक और वक्फ का कानून बनाया
ट्रिपल तलाक के मामले पर बात नहीं की जाती थी। मुस्लिम परिवारों, महिलाओं के हित में ट्रिपल तलाक का कानून बनाया। वक्फ कानून में बदलाव की मांग दशकों से की जा रही थी। इसमें जरूरी बदलाव किए गए। इससे गरीब मुस्लिमों, परमांदा मुस्लिमों को फायदा मिलेगा।
हमारी एक ही पॉलिसी, नेशन फर्स्ट
देश का हित सर्वोपरि रखा जाए, ये जरूरी है। देश के सामर्थ्य पर भरोसा किया जाए, लेकिन दशकों से देश में विपरीत धारा बही, इसका देश ने बहुत नुकसान उठाय़ा। पहले कोई भी बड़ा कदम उठाने के पहले ये सोचा जाता था कि दुनिया क्या सोचेगी। वोट मिलेगा या नहीं मिलेगा, कुर्सी मिलेगी या नहीं, वोट बैंक छिटकेगा तो नहीं। अलग-अलग स्वार्थ के कारण बड़े फैसले टलते ही जा रहे थे।