यूपी के लड़कों को भेजा पाकिस्तान: खालिस्तानी आतंकी सिद्धू को पीलीभीत में क्यों ढूंढ रही NIA

Khalistani terrorist
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Khalistani terrorist: कुलबीर सिंह उर्फ सिद्धू, पता- यमुनानगर हरियाणा, अगर किसी को इस शख्स के बारे में जानकारी हो तो NIA को बताएं। जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा।

NIA के मुताबिक, 23 दिसंबर 2024 को पीलीभीत में जिन 3 खालिस्तानी आतंकियों का एनकाउंटर किया गया, वे सिद्धू के इशारे पर काम कर रहे थे। सिद्धू 2020-21 में पीलीभीत में करीब 10 महीने रह चुका है। इसी दौरान उसने वीजा दिलाने, विदेश भेजने का लालच देकर यहां के लड़कों से दोस्ती की और UP में अपना नेटवर्क फैलाया।

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यूपी के पीलीभीत में जगह-जगह ऐसे पोस्टर लगे हैं। इनमें जिस कुलबीर सिंह का जिक्र है, वो बब्बर खालसा से जुड़ा आतंकी है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA उसे तलाश रही है। पुलिस ने उसके लिए टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। शहर में आने वाली गाड़ियों को चेकिंग के बाद ही आगे जाने दिया जा रहा है।

ISI की मदद से पीलीभीत के लड़कों को आतंकी बनाया

सिद्धू का नेटवर्क भारत से बाहर ग्रीस, कनाडा और पाकिस्तान में फैला है। पंजाब पुलिस के मुताबिक, सिद्धू पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले संगठन खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के चीफ रंजीत सिंह नीटा के साथ काम करता था। नीटा पर भारत में बम ब्लास्ट और हथियारों की तस्करी का आरोप है, जो ड्रोन के जरिए पंजाब से सटे गांवों में की जाती है। इस वजह से नीटा 1980 से वॉन्टेंड है।

Khalistani terrorist: VHP नेता का मर्डर कराया

अप्रैल, 2023 में पंजाब के रूपनगर जिले में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता विकास बग्गा की हत्या कर दी गई थी। मामले की जांच कर रही NIA ने खुलासा किया कि कुलबीर सिंह सिंद्धू ने ही बग्गा की हत्या की साजिश रची थी। इसके बाद नवंबर से दिसबंर 2024 के बीच सिद्धू का नाम पंजाब में 8 थानों, पुलिस चौकियों पर ग्रेनेड हमलों में सामने आया।

पीलीभीत के गजरौला जप्ती गांव में सिद्धू के मददगार

NIA को मिले खुफिया इनपुट के मुताबिक, कोविड के दौरान सिद्धू पीलीभीत के पूरनपुर में 10 महीने छिपा रहा। वो गजरौला जप्ती गांव में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था। NIA गांव के प्रधान अमनदीप और सिद्धू के करीबियों से पूछताछ कर रही है।

Khalistani terrorist: पैसों के लिए आतंकी बने लड़के

पीलीभीत में खालिस्तानी टेटर मॉड्यूल आखिर कैसे पनपा? इसके जवाब में सीनियर जर्नलिस्ट केशव अग्रवाल बताते हैं, ‘प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे हुए। उसका रिएक्शन पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में भी दिखा। 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार में जरनैल सिंह भिंडरांवाले मारा गया।’

पंजाब से पीलीभीत आकर बसे सिखों ने ऑपरेशन का विरोध किया। इनमें सबसे बड़ा नाम खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के कमांडर सतनाम सिंह चीना का था। चीना ने पीलीभीत में खालिस्तान टेरर का बड़ा नेटवर्क बनाया। इसके बाद सुखदेव सिंह चीना, महताब सिंह और बलविंदर सिंह बिंदा जैसे बड़े टेररिस्ट यहीं से पकड़े गए। बताया जाता है कि पुलिस के उत्पीड़न की वजह से इन लोगों ने हथियार उठाए थे।

सिद्धू आखिर है कहां?

केशव जवाब देते हैं, ‘सिद्धू और खालिस्तान मॉड्यूल के बड़े हैंडलर्स का बेस कनाडा है। इन लोगों को पकड़ पाना मुश्किल है क्योंकि ये अलग-अलग देशों में लोकेशन बदलते रहते हैं। कभी अरब देशों में चले जाते हैं, कभी ऑस्ट्रेलिया या पाकिस्तान चले जाते हैं। पाकिस्तान में इन्हें ISI से सपोर्ट मिलता है। वहां इन्हें पैसों के साथ-साथ हथियार और टेक्नोलॉजी मुहैया कराई जाती है।’

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