जम्मू-श्रीनगर में सन्नाटा, चार दिन बाद बंकर से निकले बॉर्डर के लोग: आर-पार की लड़ाई बेहतर- कश्मीरी

Ceasefire: श्रीनगर के सबसे भीड़ वाले इलाके लाल चौक और डल लेक भी सूने हैं। सड़कों पर सन्नाटा, न टूरिस्ट नजर आए और न लोकल लोग। वजह पाकिस्तान की तरफ से हो रहे मिसाइल और ड्रोन अटैक का डर। पाकिस्तान 8 मई से शेलिंग कर रहा था, लेकिन सिर्फ रात में। 10 मई को दिन में भी धमाकों की आवाज आने लगी।
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शाम करीब 5:30 बजे भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई। आधे घंटे बाद ही श्रीनगर और आसपास के इलाकों में मार्केट खुलने लगे। लोग सड़कों पर आए। शॉपिंग करने लगे। रात 8 बजे के बाद फिर से धमाकों की आवाज गूंजने लगी। आसमान में ड्रोन दिखने लगे। फिर वहीं अफरातफरी। लोग दुकानें बंद करके घर चले गए। सड़कें खाली होने लगीं। मार्केट आए लोग घर की तरफ भागे।
Ceasefire: पाकिस्तान पर भरोसा नहीं, उससे आर-पार की लड़ाई हो
सीजफायर के अगले दिन 11 मई, रविवार को हम श्रीनगर के राजबाग पहुंचे। यहां सैलून चलाने वाले एक शख्स से बात की। कश्मीर में लोग कैमरे पर बात करने से बचते हैं, इसलिए हम उनकी पहचान जाहिर नहीं कर रहे हैं।
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सैलून मालिक ने हमें बताया, ‘मेरी दुकान रात 10 बजे से पहले कभी बंद नहीं होती थी। सीजफायर की बात सुनते ही खुशी हुई। दिनभर दुकान में इक्का-दुक्का लोग ही आए। शाम को जैसे ही खबर मिली कि लड़ाई रुक गई है, लोग आने लगे।
LoC से सटे इलाकों में शांति
कृष्णा घाटी में रहने वाले 4 दिन बाद बंकर से बाहर निकले। घाटी में लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे गांव में रहने वाले मोहम्मद गज्जाफी कहते हैं, ‘सीजफायर होने से 10 मई की शाम को हम लोग 4 दिन बाद बंकर से बाहर निकले। रात 8 बजे के बाद फिर धमाके होने लगे। अब माहौल सामान्य है। पूरे दिन फायरिंग या धमाके की आवाज नहीं आई। हम लोग घर से बाहर भी निकले। आगे भी शांति बनी रहे, तो अच्छा है।